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"हूबहू" तुझसा ही लगा वो चाँद मुझको, पर अफसोस पाने

"हूबहू" तुझसा ही लगा वो चाँद मुझको,
पर अफसोस
पाने की चाह मैं ही रात और जिंदगानी दोनो कट गईं।।
तू ना मिले तो "मलाल" नहीं करेंगे खुदा से,
बस तेरा दामन खुशियों से भरा रहे यही दुआ करेंगे खुदा से।

मेरा क्या है ऐ गालिब मेरा तो सफर कट ही जायेगा तेरे "हिज्र" मैं ।
तू तो अपना समझ मेरे बिन किसके साथ कटेगा तेरा सफर।

©safar-e-zindagi
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