मैं हर रात एक ख्वाब लिए सो जाता हूँ, हँसने की कोशिस भी करूं तो रो जाता हूँ, ना जाने क्यों मगर अब भी यकीन है तुम आओगे, वादे जो तोडे है ना उन्हें पूरा कर निभाओगे, एक पल में बिखर जाता हूं जब ये महज़ खयाल लगता है, इतने जवाब दिए ना कि मुझे अश्क़ मेरा अब सवाल लगता है, ख़ैर तुम तो शायद अब खुश हो मेरे ना होने से, ना फ़र्क़ पड़ता है तुम्हरे हँसने या रोने से, मैं फिर भी तन्हा तुम्हरा ही इंतेज़ार करता हूँ, किसीको बताना नही मगर आज भी प्यार बेशुमार करता हूँ, हालात बदले जज़्बात बदले औऱ बदले तो तुम भी, बिखरे भी हम ना समझ क्या गलत और क्या सही, खुद के ही ख़यालो की दुनिया मे कहीं अकेला खो जाता हूँ, मैं हर रात एक ख़्वाब लिए यूहीं बेकोफ़ सो जाता हूँ।। ख़्वाब ❤🔥