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ममता सहसा ही, ​स्तब्ध हो कर उठी.. अपने दिवास्वप्न

ममता सहसा ही,
​स्तब्ध हो कर उठी..
अपने दिवास्वप्न से,
और जा बैठी आईने के सामने,
अरसे बाद खुद से ही मिलने,
नैनों के किवाड़ खोले,
​​खुले बालों में..कल्पना का जूड़ा बाँधा,
​वो एहसासों की लाल बिंदिया,
जो गिर गयी थी..​करवटें बदलते..
​तकिए के गिलाफ़ पर चिपकी मिली,
​उसने उसे चुटकी से उठाया,
​और माथे पर फिर,
करीने से सजाकर श्रृंगार किया,
​जैसे वो उसके सर का ताज बन गया,
लाज के ​​दुपट्टे को कांधे पर रखा,
​और निहारने लगी,
​दुपट्टे का कोना..
​जो शायद भीग गया था नींद में बही,
​भावनाओं की नदियों से, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे_है..

स्त्रियाँ अक्सर शून्य रहती हैं... जो सामाजिक रूढियों और पुरूषवादी समाज में..आगे और न्यून हो जाती हैं..कर्तव्य निभाती बस वस्तु की भाँति..

यहाँ ममता से तात्पर्य "माँ" है

#सफर_शून्य_से_न्यून_तक
ममता सहसा ही,
​स्तब्ध हो कर उठी..
अपने दिवास्वप्न से,
और जा बैठी आईने के सामने,
अरसे बाद खुद से ही मिलने,
नैनों के किवाड़ खोले,
​​खुले बालों में..कल्पना का जूड़ा बाँधा,
​वो एहसासों की लाल बिंदिया,
जो गिर गयी थी..​करवटें बदलते..
​तकिए के गिलाफ़ पर चिपकी मिली,
​उसने उसे चुटकी से उठाया,
​और माथे पर फिर,
करीने से सजाकर श्रृंगार किया,
​जैसे वो उसके सर का ताज बन गया,
लाज के ​​दुपट्टे को कांधे पर रखा,
​और निहारने लगी,
​दुपट्टे का कोना..
​जो शायद भीग गया था नींद में बही,
​भावनाओं की नदियों से, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे_है..

स्त्रियाँ अक्सर शून्य रहती हैं... जो सामाजिक रूढियों और पुरूषवादी समाज में..आगे और न्यून हो जाती हैं..कर्तव्य निभाती बस वस्तु की भाँति..

यहाँ ममता से तात्पर्य "माँ" है

#सफर_शून्य_से_न्यून_तक
akalfaaz9449

AK__Alfaaz..

New Creator

#पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे_है.. स्त्रियाँ अक्सर शून्य रहती हैं... जो सामाजिक रूढियों और पुरूषवादी समाज में..आगे और न्यून हो जाती हैं..कर्तव्य निभाती बस वस्तु की भाँति.. यहाँ ममता से तात्पर्य "माँ" है #सफर_शून्य_से_न्यून_तक #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes