मन यौवन में प्रीत लभ्य में रीत सभ्य में चुभे मेरा अंग गर चूम लेना मध्य अंग उठेगा पुलक अलभ्य नहीं सारा गुलाब तुम्हारा। पवित्र पुष्प मैं पल्लवित करती हूँ, मैं तुमसे मोंगरे सा इश्क़ करती हूँ। #इश्क़मोगरेसा #मोगरेसाइश्क़ #मोगरेसाइश्क़मेरा