नदी और पहाड़ों के बीच फूलों और बहारों के बीच मेरा भी कोई अपना था इस जहाँ में हजारों के बीच पर अब वो कहीं खो गया मुझें छोड़ किसी और का हो गया उससे उम्मीद नहीं थी उसनें मेरे साथ ऐसा किया मैंने सोचा भी नहीं था उसने मुझें उतना दर्द दिया हम उम्मीद लगाए हीं रह गए कि वो कभी तो मेरा प्यार समझ पायेगा कभी तो मुझे भी अपना जान मानेगा कभी तो मुझपर भी प्यार लुटायेगा पर अफ़सोस कि उसपर प्यार लुटाते लुटाते हम खुद ही लुट गयें उसके पिछे भागते भागते हम खुद ही कहीं रास्ते में छुट गयें पर ये सब छोड़ीये ये तो मेरे प्यार का दास्ताँ हैं मुझें समझ नहीं पाया क्योंकि ये नफरतों का जहाँ हैं ©Keshav Kamal #seashore नदी और पहाड़ों के बीच फूलों और बहारों के बीच मेरा भी कोई अपना था इस जहाँ में हजारों के बीच पर अब वो कहीं खो गया मुझें छोड़ किसी और का हो गया