युधिष्ठिर यम के अंशावतार यदुकुल वंश के पांडव और कुंती के सबसे ज्येष्ठ पुत्र थे। युधिष्ठिर अपनी सत्यवादिता और धार्मिक आचरण के कारण धर्मराज युधिष्ठिर कहलाए। युधिष्ठिर भाला चलाने में निपुण थे वह कभी मिथ्या नहीं बोलते थे स्तरीय का साथ देते थे। अद्भुत धैर्य, सहनशीलता,दृढ़ता, नम्रता व दयालुता के साथ प्रजा का उत्तम पालन किया। पिता ने यक्ष बन सरोवर पर सत्य की परीक्षा ली परीक्षा उत्तीर्ण कर सबके प्राण बचाए। द्रोणाचार्य के शिष्य,पांचों पांडवों भीम, अर्जुन,नकुल व सहदेव के सबसे बड़े भ्राता थे। द्रौपदी और देविका पत्नियां थीं द्रौपदी से प्रतिविंध्य और देविका से धौधेय पुत्र हुए। धृतराष्ट्र के बुलाने पर न जाने को नियम विरुद्ध जान दुर्योधन से द्युतक्रीड़ा का खेल खेला। द्युतक्रीडा़ में अपना सारा राजपाट भाई बन्धुंओ सहित द्रौपदी को भी दांव पर लगाया भरी सभा में द्रौपदी का अपमान हुआ तब भी कुछ ना बोले विवशता से सर झुकाए खड़े थे युधिष्ठिर धैर्यसंपन्न, महान ज्ञानी क्षमाशील तपस्वी और श्रीकृष्ण के परम भक्त थे। धर्म को अमरता से श्रेष्ठ माना सत्य के सामने धन राज्य पुत्र व यश का कोई मूल्य न था -"Ek Soch" #yqbaba #yqdidi #myquote #openforcollab #collabwithmitali #mahabharat_charitra #dharmraj_yudhisthir Time limit till 11:59 pm tonight... No word limit You have to maintain these hashtags Kindly keep the bell icon on to get recent updates... Results will be out tomorrow along with new topic...