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पुरुषोत्तम श्रीराम हमेशा मर्यादित रहे क्या वह पति

पुरुषोत्तम श्रीराम हमेशा मर्यादित रहे
क्या वह पति परमेश्वर प्रियवर के रूप में भी मर्यादित रहे,,
क्या उन्होंने अपनी इच्छाओं का दमन कर कर 
राज्य और परिवार का सुख ना चाहा,,,
प्राकृतिक रूप में उनके देह में जो प्रेम बह रहा था 
उसका दमन उन्होंने खुद किया,,, परिवार या राज्य के लिए अपनी
इच्छाओं का गला घोंट देना सही है क्या
एक राजा को अपना सुख त्याग देना चाहिए क्या
राज्य देश के लिए उसको समर्पण भाव त्याग की भावना ही सर्वश्रेष्ठ है क्या सर्वश्रेष्ट बनने में परिवार आड़े आता है
क्या देश समाज संसार के लिए जो कर्तव्य है
उसमें स्वार्थ पुरुष को पोरुष नहीं बनने देता,,,,,
पुरुषोत्तम श्रीराम हमेशा मर्यादित रहे
क्या वह पति परमेश्वर प्रियवर के रूप में भी मर्यादित रहे,,
क्या उन्होंने अपनी इच्छाओं का दमन कर कर 
राज्य और परिवार का सुख ना चाहा,,,
प्राकृतिक रूप में उनके देह में जो प्रेम बह रहा था 
उसका दमन उन्होंने खुद किया,,, परिवार या राज्य के लिए अपनी
इच्छाओं का गला घोंट देना सही है क्या
एक राजा को अपना सुख त्याग देना चाहिए क्या
राज्य देश के लिए उसको समर्पण भाव त्याग की भावना ही सर्वश्रेष्ठ है क्या सर्वश्रेष्ट बनने में परिवार आड़े आता है
क्या देश समाज संसार के लिए जो कर्तव्य है
उसमें स्वार्थ पुरुष को पोरुष नहीं बनने देता,,,,,
vandana6771

Vandana

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