मैं ख्वाबों का कबाड़ी हूं शहर भर डोलता हूं यादों के तराजू पर अंधेरा तौलता हूं रात आती भी है बेचने कुछ पुराना टूटा फूटा मैं भी उस कबाड़ में कुछ अपना टटोलता हूं मैं यादों का कबाड़ी हूं #Night