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माना खामोश हूँ मगर... भरी महफिल में पुराने किस्से

माना खामोश हूँ मगर...
भरी महफिल में पुराने किस्से मैं भी छेड़ सकता हूँ...!!

जंग लड़ने के लिए हथियारों की जरूरत तुम्हें होगी, मुझे नहीं...
मैं अपने शब्दों के बाण से भी दुश्मन की रूह उधेड़ सकता हूँ...!!

           - Ashish Mishra ✍🏼 😎🔥🤙✍🏼



#रातकाअफ़साना #shayari #writer #thoughts #poetry #urdushayari #yourquote #feelings
माना खामोश हूँ मगर...
भरी महफिल में पुराने किस्से मैं भी छेड़ सकता हूँ...!!

जंग लड़ने के लिए हथियारों की जरूरत तुम्हें होगी, मुझे नहीं...
मैं अपने शब्दों के बाण से भी दुश्मन की रूह उधेड़ सकता हूँ...!!

           - Ashish Mishra ✍🏼 😎🔥🤙✍🏼



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