Nojoto: Largest Storytelling Platform

" बचपन में मुझे डमरू का बहुत शोक था, मगर पता नहीं

" बचपन में मुझे डमरू का बहुत शोक था,
मगर पता नहीं था,
की, बड़े होकर ये जिन्दगी मुझे,
बन्दर की तरह नचायेगी.!

ग़रीबी ने मुहब्बत छीनी,
सपनो ने अपनो से दूर कर दिया.!!

" और अब.... 

" अब जिम्मेदारियां खोवाईशो का कत्ल कर रही हैं...
कुछ समझ में नहीं आता,
बस यूँ ही भटके जा रहा हूँ,
आवारा की तरह...!!!
😊

[ By-B@@DSH@H...🤴🤴🤴 ]

©TUMHARE__ALFAZ
  #Damrubala🥁🪘🥁🪘🪘

Damrubala🥁🪘🥁🪘🪘 #Shayari

27 Views