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White घनों की एक श्याम सा बादल में चमकते देखा व

White घनों की एक श्याम सा बादल में
   चमकते देखा वो चांद सा नूर है ।
ख्वाबों में अक्सर ,जिसे मैं ढूँडा करता था
परछायीं भी मुझसे 238, mil दूर है ॥
              
          नसीब - ए -कहां मिले वो आभा 
        नज़रें  लगी जिसे , आलम-ए - ईश्क द ।
       दें कैसे नसीहतें , मिथ्या तसल्ली का
     छिपा लो हमें भी श्याम ! अपने आगोश मे ॥ 

              ईश्क की नही कोई दास्ता ,बनी हमारी,
            कल्पना की सागर में  खोए है ॥
          साइंस  विषय का रहा छात्र मैं के.पी
         याद किया  पृथ्वी से वो चाँद कितना दूर है ॥

©Khilendra Kumar
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