हर बात में महके हुए जज़्बात की ख़ुशबू याद आयी बहुत पहली मुलाक़ात की ख़ुशबू छुप छुप के नई सुबह का मुँह चूम रही है इन रेशमी ज़ुल्फ़ों में बसी रात की ख़ुशबू मौसम भी हसीनों की अदा सीख गये हैं बादल हैं छुपाये हुए बरसात की ख़ुशबू होंठों पे अभी फूल की पत्ती की महक है सांसों में रची है तेरी सौग़ात की ख़ुशबू मेरी डूबती कश्ती