वो ग़र क़भी जो ख़फ़ा हो गया ऐसा ही कुछ फ़लसफ़ा हो गया गीत गाते रहे हम मुरव्वत भरे... बे-मुरव्वत कोई बे-वफ़ा हो गया शिक़वे गिले और शिक़ायत हुई कुछ भी कहा तो जफ़ा हो गया। मेरी मायूस धड़कन सुनाई न दी। यूँ उदासी को मेरी नफ़ा हो गया। इश्क़ आँखों में मेरी उतरने लगा। यूँ आँसू से दामन सफ़ा हो गया। दिल में तूफ़ान उठने लगा था मेरे पंछी' पिंजरे से जैसे दफ़ा हो गया। वो ग़र क़भी जो ख़फ़ा हो गया ऐसा ही कुछ फ़लसफ़ा हो गया गीत गाते रहे हम मुरव्वत भरे... बे-मुरव्वत कोई बे-वफ़ा हो गया शिक़वे गिले और शिक़ायत हुई कुछ भी कहा तो जफ़ा हो गया।