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बहुत सिर कर लिये मा-बाप के एहसान .... अब उन एहसानो

बहुत सिर कर लिये मा-बाप के एहसान ....
अब उन एहसानों को चुकाना तो पड़ेगा
बीत चुकी है उम्र खेल कूद करने और मस्ती वाली
अब किसी काम में ध्यान लगाना तो पड़ेगा
बहुत नखरे किये जब बैठे बिठाए मिलती थी रोटी
मां नहीं होगी वहां, बार बार खाना पुछने वाली
पता चलेगा जब खुद को पकाना तो पड़ेगा
यू ही कब तक चिपके रहेगें, घर के मोह में
तोड़कर मोह घर का, कमाने के लिए बाहर जाना तो पड़ेगा
ऐसा ही घर में बैठने से कुछ नहीं होगा
समझनी पड़ेगी अब खुद को ही दुनियादारी,
समझनी पड़ेगी अब खुद को ही घर की जिम्मेवारी
छोड़कर ना-समझी, अब कमाना तो पड़ेग

©Davinder Kumar Khichi
  कमाना तो पड़ेगा_@DKK

कमाना तो पड़ेगा_@DKK #Shayari

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