घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, ओठों पे मुस्कान चिपकाकर सुबह घर से निकल जाता हूं, शाम को मायूस सुरत लिए फिर से घर को लौट आता हूं। सच में कितना बेबकूफ हूं मैं, लोगों को कभी पढ़ न सका। सारे हूनर सीख लिए लकिन इसी हूनर से वंचित रहा।।