शब्द तेरा आहट बनकर पुलकित ह्रदय करता है वाक्य तेरा मालावंकर हृदय को सुशोभित करता है मनन मेरा चिंतन बनकर बनकर तुझ में ही सुशोभित रहता है नृत्य तेरा सागर बनकर गागर में पूरा करता है हंसराज Richa....gp🤐