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मन के पन्नो पर मैं , खींच रहा हूँ । आड़ी तिरछी रेखा

मन के पन्नो पर मैं ,
खींच रहा हूँ ।
आड़ी तिरछी रेखाएं
मैं ढूढ रहा हूँ 
अपने प्रीतम की यादें
हिज्र की रातों से ,
जख्मों के बन गये टीले
कही पर कंकड़ पत्थर
और हो गया हूँ बंजर 
अब चुभते यादों के खंजर 
भयानक सा लगने लगा मंजर 
हैरान हूँ परेशान हूँ
बेवफाई की चलने लगी हवाये 
टूटे है दिल के खिड़की दरवाजे 
ओर सिसक रही यादें ।।
अमित कुमार बिजनौरी #Bechain_man  Rohit Rathee Jeet Chauhan hemantradhe Rahim naqs Inner Voice
मन के पन्नो पर मैं ,
खींच रहा हूँ ।
आड़ी तिरछी रेखाएं
मैं ढूढ रहा हूँ 
अपने प्रीतम की यादें
हिज्र की रातों से ,
जख्मों के बन गये टीले
कही पर कंकड़ पत्थर
और हो गया हूँ बंजर 
अब चुभते यादों के खंजर 
भयानक सा लगने लगा मंजर 
हैरान हूँ परेशान हूँ
बेवफाई की चलने लगी हवाये 
टूटे है दिल के खिड़की दरवाजे 
ओर सिसक रही यादें ।।
अमित कुमार बिजनौरी #Bechain_man  Rohit Rathee Jeet Chauhan hemantradhe Rahim naqs Inner Voice