तेरी-मेरी यारी ............................. मैं हूँ एक शरीर तू है उसका साया तुझसे ही दोस्ती का सच्चा स्वाद है पाया... वो लम्हें भी क्या लम्हें थे, शब्दों में बंधते रिस्ते नहीं थे.. कुछ हिस्सें कुछ पुराने और न जाने कितने क़िस्से थे... पतझड़ में वो रंगीन बसंत के बहार से थे.. तेरी मेरी यारी ऐ यार मेरे रेगिस्तान में वो कलकल नदी के धार से थे.. वक़्त की रेत ने आज हमें बहा बहुत दूर ले गए है पर,, आज भी खो जाती हूँ वो किस्से सोच के मैं हरपल, बहुत कुछ एहसास आज भी दिलों में कैद है.. अपनी यारी की वो रंगीन यादें सब सहेजे है जहन में अब तक,,.. तस्वीरों पे धूल भी जम गई है मग़र,, दिल कि गहराई में क़ैद है यादें अब तलक... ये दोस्ती तेरे दम से महफूज है आज तक,,.. तेरे लिए हर चीज़ कुर्बान है यार मेरे अब तक.. ©Rishika Srivastava "Rishnit" #bestfrnds #कविता #तेरीमेरीयारी #NojotoQuotes #Rishika