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आंसा थोड़ा है,यूं प्रीतम बन जाना.. रूह को फेंक देन

आंसा थोड़ा है,यूं प्रीतम बन जाना..
रूह को फेंक देना ,तितर-बितर पन्नों पर
या सपनें को ,किसी दराज में घुसेड़ देना..
और धर पाना मूढ़े पे ,वो लापरवाह नींद
कभी तो ये उम्र का चोगा उतार,
बांध कमर में पंख ,उड़ पाऊं नभ तक
रूई सी हल्की महसूस करूं
अपने हथेलियों के पंजे से,
जकड़ लूं भागते लम्हों को..
हां एक छोटी सी झपकी में
पाना चाहती हूं, तेरी एक झप्पी 
और उसे महसूस कर यूं ही
निकाल देना चाहती हूं
  पूरा जीवन... काश.
    ऐ जिंदगी....


 
 


     #आंसानही
#काश_ऐसा_होता 
#झपकी #झप्पी 
Madhu Jhunjhunwala
Neeru Bhatt
#तूलिका
आंसा थोड़ा है,यूं प्रीतम बन जाना..
रूह को फेंक देना ,तितर-बितर पन्नों पर
या सपनें को ,किसी दराज में घुसेड़ देना..
और धर पाना मूढ़े पे ,वो लापरवाह नींद
कभी तो ये उम्र का चोगा उतार,
बांध कमर में पंख ,उड़ पाऊं नभ तक
रूई सी हल्की महसूस करूं
अपने हथेलियों के पंजे से,
जकड़ लूं भागते लम्हों को..
हां एक छोटी सी झपकी में
पाना चाहती हूं, तेरी एक झप्पी 
और उसे महसूस कर यूं ही
निकाल देना चाहती हूं
  पूरा जीवन... काश.
    ऐ जिंदगी....


 
 


     #आंसानही
#काश_ऐसा_होता 
#झपकी #झप्पी 
Madhu Jhunjhunwala
Neeru Bhatt
#तूलिका