अकसर होते ही सुबह निकल पड़ता हू , इन विचारो की भीड़ में । जाने अनजाने कहीं गुम सा हो जाता हू, इन विचारो की भीड़ में । मन के आसमान में बहते इन विचारों के बादलों को, जब होश की हवा छूती है तब जाकर टूटतीं है बेहोशी इन विचारों की । साक्षी बनकर देखता हूं जब इन विचारो की भीड़ को, तो अलग सा पाता हू खुदको इन विचारो की भीड़ से । #Crowd of thoughts #Witnessing #Awareness #Anubhav Ki Kalam Se