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हूई अब नज़्म भी ख़ूनी सियासत की नूरानी में गाँधी के

हूई अब नज़्म भी ख़ूनी सियासत की नूरानी में 
गाँधी के भोलापन से खद्दर लाल है होती
उठो अब बज़्म से वीरों,धरा है खून की प्यासी 
लगा दो आग नग्मों में,समां की हर साख है रोती

पूरी रचना कैप्शन में पढ़े 👉 #evening हूई अब नज़्म भी ख़ूनी सियासत की नूरानी में 
गाँधी के भोलापन से खद्दर लाल है होती
उठो अब बज़्म से वीरों,धरा है खून की प्यासी 
लगा दो आग नग्मों में,समां की हर साख है रोती

चमन के अंधेरों को मिटा दो रक्त से पथचर
समंदर लाल भी हो तो क्या इल्ज़ाम आएगा
मज़हब मौज से दरख़्त के साए में जो जीतें है
हूई अब नज़्म भी ख़ूनी सियासत की नूरानी में 
गाँधी के भोलापन से खद्दर लाल है होती
उठो अब बज़्म से वीरों,धरा है खून की प्यासी 
लगा दो आग नग्मों में,समां की हर साख है रोती

पूरी रचना कैप्शन में पढ़े 👉 #evening हूई अब नज़्म भी ख़ूनी सियासत की नूरानी में 
गाँधी के भोलापन से खद्दर लाल है होती
उठो अब बज़्म से वीरों,धरा है खून की प्यासी 
लगा दो आग नग्मों में,समां की हर साख है रोती

चमन के अंधेरों को मिटा दो रक्त से पथचर
समंदर लाल भी हो तो क्या इल्ज़ाम आएगा
मज़हब मौज से दरख़्त के साए में जो जीतें है

#evening हूई अब नज़्म भी ख़ूनी सियासत की नूरानी में गाँधी के भोलापन से खद्दर लाल है होती उठो अब बज़्म से वीरों,धरा है खून की प्यासी लगा दो आग नग्मों में,समां की हर साख है रोती चमन के अंधेरों को मिटा दो रक्त से पथचर समंदर लाल भी हो तो क्या इल्ज़ाम आएगा मज़हब मौज से दरख़्त के साए में जो जीतें है