लुटा गया है कौन जौहरी अपने घर का भरा खजाना पतों पर फूलों पर पगपग बिखरे हुए रतन हैं नाना जी होता इन ओस कणों को अंजली में भर घर ले आऊं इनकी शोभा निरख निरख कर इन पर कविता एक बनाऊं... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख