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ज़िंदगी की चाहत है बहुत, और कुछ मजबूरी है। अधूरी चा

ज़िंदगी की चाहत है बहुत, और कुछ मजबूरी है।
अधूरी चाहतों की बदौलत, मंज़िल भी अधूरी हैं।

बहुत कुछ मिला इस जीवन से, छाई मगर बेनूरी है।
बहुत कुछ पाना बाकी है, कुछ ख़्वाहिशें अधूरी हैं।

आस लगाई है उस ख़ुदा से, तो दुआ भी जरूरी है।
साँसों की सिमटती डोर को, अब उम्मीद भी पूरी है।

माना हमने सहा बहुत है, अब ज़ालिमों से दूरी है।
मीठा बोल के वो वार करते हैं, तेज धार ये छूरी है।

गर पहचानने में गलती हुई, ये मेरी ही कमजोरी है।
ज़िंदगी जीने के लिए, ये ठोकर भी बहुत ज़रूरी है।

ठोकर से जो संभला यहाँ, ये दुनिया उसकी पूरी है।
अधूरी चाहतों की बदौलत, मंज़िल भी अधूरी हैं। ♥️ Challenge-583 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
ज़िंदगी की चाहत है बहुत, और कुछ मजबूरी है।
अधूरी चाहतों की बदौलत, मंज़िल भी अधूरी हैं।

बहुत कुछ मिला इस जीवन से, छाई मगर बेनूरी है।
बहुत कुछ पाना बाकी है, कुछ ख़्वाहिशें अधूरी हैं।

आस लगाई है उस ख़ुदा से, तो दुआ भी जरूरी है।
साँसों की सिमटती डोर को, अब उम्मीद भी पूरी है।

माना हमने सहा बहुत है, अब ज़ालिमों से दूरी है।
मीठा बोल के वो वार करते हैं, तेज धार ये छूरी है।

गर पहचानने में गलती हुई, ये मेरी ही कमजोरी है।
ज़िंदगी जीने के लिए, ये ठोकर भी बहुत ज़रूरी है।

ठोकर से जो संभला यहाँ, ये दुनिया उसकी पूरी है।
अधूरी चाहतों की बदौलत, मंज़िल भी अधूरी हैं। ♥️ Challenge-583 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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