तड़प रहे थे जिनके दीदार को हम, इमरोज दीदार-ए-यार हो गया। दिल की तड़पन मिट गई पर यार मेरा,मेरे दिल की धड़कन बढ़ा गया। "अजीज/प्रिय" "कातिबों/लेखकों" हम अब सिर्फ आपकी मश्क़/अभ्यास के लिए आपको अल्फ़ाज़ देते रहेंगें। 👉आज की मश्क़/अभ्यास के लिए आज का हमारा अल्फ़ाज़/शब्द है 👇👇👇 🌹"इमरोज़/امروز"🌸"Imroz"🌹