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तड़प रहे थे जिनके दीदार को हम, इमरोज दीदार-ए-यार ह

तड़प रहे थे जिनके दीदार को हम, इमरोज दीदार-ए-यार हो गया।
दिल की तड़पन मिट गई पर यार मेरा,मेरे दिल की धड़कन बढ़ा गया।
 "अजीज/प्रिय"  "कातिबों/लेखकों"


हम अब सिर्फ आपकी मश्क़/अभ्यास के लिए आपको अल्फ़ाज़ देते रहेंगें।

👉आज की मश्क़/अभ्यास के लिए आज का हमारा अल्फ़ाज़/शब्द है
👇👇👇
🌹"इमरोज़/امروز"🌸"Imroz"🌹
तड़प रहे थे जिनके दीदार को हम, इमरोज दीदार-ए-यार हो गया।
दिल की तड़पन मिट गई पर यार मेरा,मेरे दिल की धड़कन बढ़ा गया।
 "अजीज/प्रिय"  "कातिबों/लेखकों"


हम अब सिर्फ आपकी मश्क़/अभ्यास के लिए आपको अल्फ़ाज़ देते रहेंगें।

👉आज की मश्क़/अभ्यास के लिए आज का हमारा अल्फ़ाज़/शब्द है
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🌹"इमरोज़/امروز"🌸"Imroz"🌹

"अजीज/प्रिय" "कातिबों/लेखकों" हम अब सिर्फ आपकी मश्क़/अभ्यास के लिए आपको अल्फ़ाज़ देते रहेंगें। 👉आज की मश्क़/अभ्यास के लिए आज का हमारा अल्फ़ाज़/शब्द है 👇👇👇 🌹"इमरोज़/امروز"🌸"Imroz"🌹 #YourQuoteAndMine #poetrystage786 #poetrystageinsta786