Nojoto: Largest Storytelling Platform

कोई भी भाषा सार्थकता के पड़ाव को तब तक नहीं स्पर्श

कोई भी भाषा सार्थकता के पड़ाव को तब तक नहीं स्पर्श कर सकती जब तक वह संवेदनाओं को स्पर्श नहीं कर पाए।

©Kanchan Mishra 
  #अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

#अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस #विचार

216 Views