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कोई भी भाषा सार्थकता के पड़ाव को तब तक नहीं स्पर्श

कोई भी भाषा सार्थकता के पड़ाव को तब तक नहीं स्पर्श कर सकती जब तक वह संवेदनाओं को स्पर्श नहीं कर पाए।

©Kanchan Mishra 
  #अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

#अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस #विचार

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