मनोहर पर्रिकर को भावपूर्ण श्रद्धांजलि जब इस जहां से जाना है तो,संग्रह क्यों करें, मौत तो माशूका है सबकी,वफा जरूर निभाएगी, फिर माशूका से क्यों डरें,क्यों डर कर क़िस्तों में मरें, मौत बादा खिलाफी नहीं करती,इक दिन जरूर आएगी, बादा किया है उसने,जरूर निभाएगी, हंसते रहो हंसाते रहो,जिओ और जीने दो, साथ कुछ नहीं ले जाती बो, सब यहीं छोड़ जाएगी हां इतना जरूर है,ये तेरा,ये मेरा सब नहीं चलेगा ये रिश्ते भी फानी हैं,सबसे मुंह मोड़ जाएगी, मौत माशूका है,