सुनों मेरी जान तुम ख़्वाब में तो रोज़ ही आती हो, पर सच में क्यों नहीं आती हो। सुनों ,प्यार ही किया हैं कोई ग़ुनाह तो नही न फिर इस दिल को, इतना क्यों तड़पाती हो? ~रवि ##सुन मेरी जान##न हो परेशान##