वो जहरीला धुआं, क्यों प्यारा लगता है। खोखला करता अंदर ही अंदर, वह दुश्मन, अपना सा लगता है।। अनजान नहीं उस तबाही से, जो धुये की शक्ल में, भीतर मौत बन बरसता है। किसी दर्द को भुलाने बैठे, यह उड़ता धुआं दवा सा लगता है।। अजीब बहाने है मन बहलाने के, बर्बादी का मंजर , सुंदर महलों सा लगता है। वो जहरीला धुआं, क्यों प्यारा लगता है...... ©Yogendra Nath #saynotosmoking#जहरीला धुआं