जिंदगी तू चलती चली गयी और मैं खड़ा तकता रहा, कभी तू हँसी मुझपे और कभी मैं औरों पे हँसता रहा। मैं तेरी इस झूठी दुनियाँ में इस कदर लिपटा रहा की, तू मुझमें पसरती गयी और मैं खुदमें ही सिमटता रहा। जिंदगी तू चलती चली गयी और मैं खड़ा तकता रहा। #poetry#nojoto#zindgi