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दुनिया में आगे बढ़ने के चक्कर में हम रिश्तों को भी

दुनिया में आगे बढ़ने के चक्कर में हम रिश्तों को भी पीछे छोड़ देते हैं। इस तेज रफ्तार भरे जीवन में हम खुद को इतना व्यस्त कर लेते हैं कि हमें उन्हें समय नहीं दे पाते हैं, जो हमारे लिए सबसे अहम होते हैं। जिनके लिए हम दुनिया से आगे निकला चाहते हैं, हम उन्हें ही काफी पीछे छोड़ देते हैं। जिनसे मिलना नामुमकिन सा हो जाता है। हमें अपनों के लिए समय निकालना बहुत जरूरी होता है। आज हम इसी पर आधारित एक कहानी पचास रुपये लेकर आए हैं।

एक आदमी अपने ऑफिस के काम से थक-हार के घर पहुंचा। दरवाजे पर उसके 8 साल के बच्चे ने उसे रोकते हुए कहा कि पापा एक सवाल करूं? पिता ने उलझन भरे आवाज में हां कह दी। बेटे ने सवाल किया कि आप एक घंटे में कितना कमाते हो? पिता ने झुंझलाते हुए उत्तर दिया 100 रुपये। जवाब सुनकर बेटे ने मासूमियत के साथ पिता से 50 रुपये मांगा। पिता ने डांटते हुए कहा कि पैसों के लिए फालतू सवाल कर रहे थे। जाओ जाकर सो जाओ, ये उटपटांग सवाल मत किया करो। लड़का आंखों में आंसू लिये अपने कमरें में चला गया। कुछ समय बाद पिता का गुस्सा शांत हुआ, तो उन्हें लगा कि बच्चे पर फालतू में गुस्सा किया। इससे पहले उसने कभी भी पैसा नहीं मांगा था। शायद उसे जरूरत ही हो। वो खाना खाकर बच्चे के कमरे में गए। वहां बच्चे से सॉरी बोलते हुए उसे 50 रुपये दे दिये और कहा कि ऑफिस का गुस्सा तुमपर निकल गया। बेटा भी थैंक यू बोलकर तेजी से आलमारी की तरफ बढ़ गया।आलमारी के पास उसने कुछ पैसे जमा कर रखे थे, उन्हें गिनने लगा। पिता ने चिल्लाते हुए कहा कि जब तुम्हारे पास पैसा था, तो मुझसे क्यों मांगा। लड़के ने पलटक जवाब दिया क्योंकि मेरे पास कम पड़ रहे थे। 

लड़का अपने पापा के समीप जाकर कहा कि लीजिये ये 100 रुपया और कल घर जल्दी आ जाइएगा। मुझे आप के साथ खाना खाना है। इतना सुनते ही पिता के आंखों में आंसू आ गया।

©Samridhi Siwan Samridhi Siwan

#Isolated
दुनिया में आगे बढ़ने के चक्कर में हम रिश्तों को भी पीछे छोड़ देते हैं। इस तेज रफ्तार भरे जीवन में हम खुद को इतना व्यस्त कर लेते हैं कि हमें उन्हें समय नहीं दे पाते हैं, जो हमारे लिए सबसे अहम होते हैं। जिनके लिए हम दुनिया से आगे निकला चाहते हैं, हम उन्हें ही काफी पीछे छोड़ देते हैं। जिनसे मिलना नामुमकिन सा हो जाता है। हमें अपनों के लिए समय निकालना बहुत जरूरी होता है। आज हम इसी पर आधारित एक कहानी पचास रुपये लेकर आए हैं।

एक आदमी अपने ऑफिस के काम से थक-हार के घर पहुंचा। दरवाजे पर उसके 8 साल के बच्चे ने उसे रोकते हुए कहा कि पापा एक सवाल करूं? पिता ने उलझन भरे आवाज में हां कह दी। बेटे ने सवाल किया कि आप एक घंटे में कितना कमाते हो? पिता ने झुंझलाते हुए उत्तर दिया 100 रुपये। जवाब सुनकर बेटे ने मासूमियत के साथ पिता से 50 रुपये मांगा। पिता ने डांटते हुए कहा कि पैसों के लिए फालतू सवाल कर रहे थे। जाओ जाकर सो जाओ, ये उटपटांग सवाल मत किया करो। लड़का आंखों में आंसू लिये अपने कमरें में चला गया। कुछ समय बाद पिता का गुस्सा शांत हुआ, तो उन्हें लगा कि बच्चे पर फालतू में गुस्सा किया। इससे पहले उसने कभी भी पैसा नहीं मांगा था। शायद उसे जरूरत ही हो। वो खाना खाकर बच्चे के कमरे में गए। वहां बच्चे से सॉरी बोलते हुए उसे 50 रुपये दे दिये और कहा कि ऑफिस का गुस्सा तुमपर निकल गया। बेटा भी थैंक यू बोलकर तेजी से आलमारी की तरफ बढ़ गया।आलमारी के पास उसने कुछ पैसे जमा कर रखे थे, उन्हें गिनने लगा। पिता ने चिल्लाते हुए कहा कि जब तुम्हारे पास पैसा था, तो मुझसे क्यों मांगा। लड़के ने पलटक जवाब दिया क्योंकि मेरे पास कम पड़ रहे थे। 

लड़का अपने पापा के समीप जाकर कहा कि लीजिये ये 100 रुपया और कल घर जल्दी आ जाइएगा। मुझे आप के साथ खाना खाना है। इतना सुनते ही पिता के आंखों में आंसू आ गया।

©Samridhi Siwan Samridhi Siwan

#Isolated