जिनको समझा हमने अपने करीब, वो तो बेगाने निकले, सरे राह हमको छोड़ गए वो, हम रह गए अकेले। दिल हमारा हो गया छलनी, पर उनको क्या परवाह, अपनी दुनिया में वो रम गए, कितने बेपरवाह वो निकले।— % & ।। कुछ अपने अनजाने से ।। कुछ अपने अनजाने से निकले, धूप में जब हमसाये निकले, जख्मों से दिल छलनी कर के वो अपना दामन बचाए निकले। सब कुछ समझ बैठे थे जिनको हम कभी, टूट गया वो भरम, दफ़्न कर ज़र-ए-एहसास दिल में कहीं, दामन छुड़ाए निकले। हमसाये - पड़ोसी