बेकार सा _ बैठा रहा _ उसके ख़यालों मे उलझा रहा_मन ये मेरा_उसके सवालों मे क्या हो गयी हमसे खता मेरे अजी़ज़-ए-मन क्यु ये कली _ मुर्झा गयी _ जैसे उजालों मे क्यों डर गयी दुनिया से तू कुछ तो बता भी दे उलझा है मन_कितनी दफा_दुनिया के जालों मे आ जाएगी फ़िर से बहार मौक़ा न ये छोड़ना चमके कली हर इक सुबह शबनम के प्यालों मे Collab and add your beautiful thoughts on our #wsrandombg19 bg #wrscribblezone #yqwritosphere #yqbaba #yqquotes #yqsayyed #scribbles #YourQuoteAndMine