Nojoto: Largest Storytelling Platform

ढल रहा है सूरज, रात की बारी आई हैं, गुजर गया फिर य

ढल रहा है सूरज, रात की बारी आई हैं,
गुजर गया फिर यह दिन,
नई सुबह की फिर  बारी आई है,
रोज ढल जाता दिन यूँ ही,
फिर नए उम्मीदें, नई कहानियां बन जाती है,
एक, रोज नई मंजिल मिलती तो कहीं
एक, रोज यादों की निशानियां मिल जाती है।

©Alpana Sharma
  #alpanasharma #nayisubah #nayishuruaat #Life