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मंजिल एक है , सफर एक है , किन्तु यह अंजान डगर । कु

मंजिल एक है ,
सफर एक है ,
किन्तु यह अंजान डगर ।
कुछ तुम बोलो ,
हम भी बोलें ,
कट जाए सूनसान सफर।।
पुष्पेन्द्र पंकज

©Pushpendra Pankaj
  कुछ तुम बोलो ,हम भी बोलें

कुछ तुम बोलो ,हम भी बोलें #कविता

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