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जनहित की रामायण - 83 लूटी गई सैंकड़ों बार, अब भी

जनहित की रामायण - 83

लूटी गई सैंकड़ों बार, अब भी लूटी जा रही लगातार !
सोने की चिड़िया कहलाती थी , अब कर्ज़ अपरंपार !!

सोने की लंका की लग गई लंका, लोग लगा रहे आग !
सत्ताधीश कुछ तो भगा दिये, कुछ खुद ही रहे भाग !!

चिड़िया जो सोने की थी, अपार कर्ज़ में धंसी है !
चंद घरानों के गलियारों में, हर बैंक की रकम फंसी है !!

बैंक जमा के अलावा, कर्ज़ लेने देने पर रोक !
जायज रक़म हरेक ने, बैंक में ही देनी झोंक !!

बैंक जमा सुरक्षितता सीमा, अब पाँच लाख रुपये मात्र !
आप कितना भी बचा पाओ, पांच लाख के ही हो पात्र !!

छोटी मोटी एक बीमारी, सारी रक़म खा जायेगी !
लाखों की तादाद में जनता, भूखी नंगी हो जायेगी !!

ताली थाली सीख चुकी है, दिन भर वही बजायेगी !
मांग के खाने राजी होगी, भीख नहीं मिल पायेगी !!

रोटी बाँटने आये कोई तो, उस पर टूट पड़ेगी ऐसे !
भाग जायेगा ये मंजर देख, जान बचा कर जैसे तैसे !!

हे राम...

-आवेश हिंदुस्तानी 10.07.2022

©Ashok Mangal #JanhitKiRamayan 
#AaveshVaani 
#JanMannKiBaat 
#Economy
जनहित की रामायण - 83

लूटी गई सैंकड़ों बार, अब भी लूटी जा रही लगातार !
सोने की चिड़िया कहलाती थी , अब कर्ज़ अपरंपार !!

सोने की लंका की लग गई लंका, लोग लगा रहे आग !
सत्ताधीश कुछ तो भगा दिये, कुछ खुद ही रहे भाग !!

चिड़िया जो सोने की थी, अपार कर्ज़ में धंसी है !
चंद घरानों के गलियारों में, हर बैंक की रकम फंसी है !!

बैंक जमा के अलावा, कर्ज़ लेने देने पर रोक !
जायज रक़म हरेक ने, बैंक में ही देनी झोंक !!

बैंक जमा सुरक्षितता सीमा, अब पाँच लाख रुपये मात्र !
आप कितना भी बचा पाओ, पांच लाख के ही हो पात्र !!

छोटी मोटी एक बीमारी, सारी रक़म खा जायेगी !
लाखों की तादाद में जनता, भूखी नंगी हो जायेगी !!

ताली थाली सीख चुकी है, दिन भर वही बजायेगी !
मांग के खाने राजी होगी, भीख नहीं मिल पायेगी !!

रोटी बाँटने आये कोई तो, उस पर टूट पड़ेगी ऐसे !
भाग जायेगा ये मंजर देख, जान बचा कर जैसे तैसे !!

हे राम...

-आवेश हिंदुस्तानी 10.07.2022

©Ashok Mangal #JanhitKiRamayan 
#AaveshVaani 
#JanMannKiBaat 
#Economy
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