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कुछ तो है जाना पहचाना, सोचूँ क्या अरे इक दिन तो सब

कुछ तो है जाना पहचाना, सोचूँ क्या
अरे इक दिन तो सबको है जाना, सोचूँ क्या

घर पर स्वादिष्ट व्यंजन खा रहे हैं काफी
कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें नहीं मिला खाना, सोचूँ क्या

तेरी कामयाबी से जल रहें हैं लोग यहाँ
जो हर बात पर मार रहे तुझे ताना, सोचूँ क्या

कुछ कर गुज़रने के लिए निर्णय लेना ज़रूरी है
दूसरों की सोच से लेना नहीं कुछ ये माना, सोचूँ क्या

माँ बाप को घर से निकालने को तैयार हैं
और राम मंदिर इन्हें है बनवाना, सोचूँ क्या

तेरे भरोसे पे गर कोई कुछ कर रहा भारत
उनके ख़वाबों को भी तुझे है सजाना, सोचूँ क्या

.---- भारत शर्मा वत्स ---- #SochunKya
कुछ तो है जाना पहचाना, सोचूँ क्या
अरे इक दिन तो सबको है जाना, सोचूँ क्या

घर पर स्वादिष्ट व्यंजन खा रहे हैं काफी
कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें नहीं मिला खाना, सोचूँ क्या

तेरी कामयाबी से जल रहें हैं लोग यहाँ
जो हर बात पर मार रहे तुझे ताना, सोचूँ क्या

कुछ कर गुज़रने के लिए निर्णय लेना ज़रूरी है
दूसरों की सोच से लेना नहीं कुछ ये माना, सोचूँ क्या

माँ बाप को घर से निकालने को तैयार हैं
और राम मंदिर इन्हें है बनवाना, सोचूँ क्या

तेरे भरोसे पे गर कोई कुछ कर रहा भारत
उनके ख़वाबों को भी तुझे है सजाना, सोचूँ क्या

.---- भारत शर्मा वत्स ---- #SochunKya