पता नहीं क्यों आँखों से बह रहे अश्रु हैं, न जाने क्यों दिल को मिलता नहीं सुकूँ है । शायद मेरा यार उदास है किसी बात से, विघ्न कोई विचलित करते उसे विगत रात से ।। सच! मैं तुमसे दूर हूँ पर दिल में बसता हूँ, तुमको मुरझाया देख तमस में मैं धसता हूँ । मेरे हिय की स्वाति हो तुम दिव्यकृति हो, मैं दीये की बाती औ तुम मेरी घृति हो ।। जाने अनजाने मेरी ही कोई गलती होगी, सजा स्वयं पर भार लिए तुम बनती रोगी । प्रेम तुम्हारा प्रकट गुप्त सुरसरित् राग है, मेरे सुख के हित निज सुख का सुभग त्याग है ।। #weepingheart #missyou #kavita #poetrycommunity #yqdidi #yqhindi #alokstates #vrindasays पता नहीं क्यों आँखों से बह रहे अश्रु हैं, न जाने क्यों दिल को मिलता नहीं सुकूँ है । शायद मेरा यार उदास है किसी बात से, विघ्न कोई विचलित करते उसे विगत रात से ।। सच! मैं तुमसे दूर हूँ पर दिल में बसता हूँ,