रूस की ओर से यूक्रेन मामले में कुछ नरमी दिखाई जाने के बावजूद अमेरिका ने जिस तरह एक बार फिर से सीधे शब्द में युद्ध की चेतावनी दी उससे यह संकट पर विश्व की चिंता और गहरी हो गई रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने नरमी से संकेत के बीच प्रकरण को लेकर पश्चिमी देशों को फिर से कटघरे में खड़ा करते हुए नए सिरे से वार्ता की पेशकश की है पता नहीं यह व्रत किस तरह आगे बढ़ेगा लेकिन यह स्पष्ट है कि यूक्रेन के मामले में हालात अमेरिका और सोवियत संघ के बीच दशकों तक चले शीत युद्ध जैसे ही तनावपूर्ण है रूस ने यूक्रेन की सीमाओं पर अपने एक लाख से अधिक सैनिक एकमात्र किए हैं और अमेरिका के नेतृत्व में उसके युवा सहयोगी नाटो देश की सैन्य तैयारी के लिए यूक्रेन क्यों लेकर उसको किसी से बचाने के साथ दे रहा है रूस इससे पहले 2014 में यूक्रेन के हिस्से कमियां पर कब्जा जमा चुका है तब से लेकर अब तक जरूर यह यहां पर आरोप लगाता रहा है कि यूक्रेन में विद्रोही को बढ़ावा दे रहा है ताकि वह सरकारी कामकाज बाधित हो और प्रमाण स्वरूप यूक्रेन की सरकार कमजोर पड़ जाए सोवियत संघ के विघटन के समय रूस की पश्चिमी सीमा से सटे कई से छूटकर अलग राष्ट्रीय बन गए थे उसी कड़ी में 1991 में यूक्रेन के अस्तित्व में आने से इस क्षेत्र में रूस की पकड़ कमजोर पड़ी सागर के आसपास कमजोर हुई ©Ek villain #शीत युद्ध जैसा संकट #Thoughts