मेरा मन शर्मिन्दा हैं, मार दिया था मैंने तुझको पर तू बड़ा दरिंदा हैं, उजाड़ा हैं जिसने अपना मकां तू लगता वहीं परिंदा हैं, लील गया कितनों को तू जंगल नहीं ये घरौंदा हैं, मुझमें अभी तू ज़िंदा हैं मेरा मन शर्मिन्दा हैं...! मुझमें अभी तू ज़िंदा हैं...! #junedpuriyakalamse #poet #love #family