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जिंदगी की धार में बहती कभी संवरती ,कभी बिखरती

   जिंदगी की धार में बहती 
कभी संवरती ,कभी बिखरती 
कोई और नहीं 'वो मैं हूँ'
मासूमियत वो भोलापन
दिल का जुनून ,वो अल्हडपन
कोई और नहीं 'वो मै हूँ'
कुछ अपनो ने मेरा 'मैं' लिया
नियति ने परखा, समय ने सिखा दिया
तप कर मानो स्वर्ण बनी, नूतन हुई
कोई और नहीं 'वो मै हूँ'
मैं सशक्त,मैं हूँ चेतन 
मैं प्रबल, मैं हूँ संजीवन
नव निर्माण करती,
कोई और नहीं 'वो मैं हूँ'

©Manisha Mani
  कोई और नहीं 'वो मै हूँ' #poetry#life
manishamani3594

Manisha Mani

Bronze Star
New Creator

कोई और नहीं 'वो मै हूँ' poetrylife #Thoughts

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