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कितना कुछ लिखते हो तुम कोरे कागज पै.. हो सके तो मु

कितना कुछ लिखते हो तुम कोरे कागज पै..
हो सके तो मुझ पर भी कुछ लिखना ..
मेरी दोस्ती न सही ..
मेरी नाराज़गी ही लिखना ..
मेरी हँसी न सही ..
उदासी ही लिखना ..
मेरे आसूं न सही ..
विरान सी आँखो पर लिखना ..
मेरी मनुहार न सही ..
मेरा रूठ जाना लिखना ..
पर तुम सब कुछ झूठ लिखना ..
पर मेरे एहसास का एक एक पन्ना..
 कोरे कागज जितना सच लिखना ।

©Ashin Kalet #korakagaj #Ashinkalet  #shyari  #poem
कितना कुछ लिखते हो तुम कोरे कागज पै..
हो सके तो मुझ पर भी कुछ लिखना ..
मेरी दोस्ती न सही ..
मेरी नाराज़गी ही लिखना ..
मेरी हँसी न सही ..
उदासी ही लिखना ..
मेरे आसूं न सही ..
विरान सी आँखो पर लिखना ..
मेरी मनुहार न सही ..
मेरा रूठ जाना लिखना ..
पर तुम सब कुछ झूठ लिखना ..
पर मेरे एहसास का एक एक पन्ना..
 कोरे कागज जितना सच लिखना ।

©Ashin Kalet #korakagaj #Ashinkalet  #shyari  #poem
ashinkalet3154

Ashin Kalet

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