मेरी जगह हाज़िरी, कोई और लगा गया। गैरमौज़ूदगी में मेरी, कोई और भा गया।। तुम तक पहुंचने का रस्ता ज़रा सख़्त था। इतनी देर में तुमतक कोई और आ गया।। हम तरसते रहे बस तुम्हें छूने की ख़ातिर। मेरे सामने कोई फलां सीने से लगा गया।। तुम्हारे हाथों में इश्क़ की घड़ी मैंने बांधी। क़िस्मत देखो वक़्त रकीब का आ गया।। बिछड़ना ही सबकी लकीरों में लिखा है। याद वही आता जो मोहब्बत निभा गया।। ©Shivank Shyamal मेरी जगह हाज़िरी, कोई और लगा गया। गैरमौज़ूदगी में मेरी, कोई और भा गया।। तुम तक पहुंचने का रस्ता ज़रा सख़्त था। इतनी देर में तुमतक कोई और आ गया।। हम तरसते रहे बस तुम्हें छूने की ख़ातिर। मेरे सामने कोई फलां सीने से लगा गया।।