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तू रातों की रानी और दिन की सहेली है, सुलझे जो मुझ

तू रातों की रानी और दिन की सहेली है,
 सुलझे जो मुझसे, वो तू पहेली है! 

मैं मुफ़लिश से टूटा हुआ एक घर सा,
 तू खानदानी कुनबे की हवेली है।

 मैं एक दरिया का खोया किनारा हूँ, 
मैं खुशबू हूँ जिसकी तू वो चमेली है।

 मैं खंडहर हूँ बिल्कुल टूटा पुराना सा,
 इमारत शहर की तू नई नवेली है।

©Akhil Arya #Light #Poetry #poem #Gajal2 #gazal #Nojoto #Trending #no1
तू रातों की रानी और दिन की सहेली है,
 सुलझे जो मुझसे, वो तू पहेली है! 

मैं मुफ़लिश से टूटा हुआ एक घर सा,
 तू खानदानी कुनबे की हवेली है।

 मैं एक दरिया का खोया किनारा हूँ, 
मैं खुशबू हूँ जिसकी तू वो चमेली है।

 मैं खंडहर हूँ बिल्कुल टूटा पुराना सा,
 इमारत शहर की तू नई नवेली है।

©Akhil Arya #Light #Poetry #poem #Gajal2 #gazal #Nojoto #Trending #no1
akhilarya5998

Akhil Arya

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