कुछ वक़्त के चोंचले हैं इसे आख़िरी पैग़ाम न समझना, फिर लौटकर आएगी 'धुन' अभी से विराम न समझना। नज़दीकियों से ज़्यादा, ये दूरियाँ करती हैं हक़ीक़त बयाँ, चलती रहेगी यूँही क़लम, एक जगह क़याम न समझना। आईना देता तल्ख़ बयानी सूरतें तो अक्सर आनी-जानी, दर्द हमदर्द पहचान लेगा ख़ामोशी से अंजाम न समझना। रुख बदलती हवाएँ, कितना-कुछ दिखा-सिखा जाती हैं, उतार दे किसी चेहरे से नक़ाब, वहीं फ़र्जाम न समझना। हाल-ए-दिल समझने वालों की कमी सारे जहाँ में 'धुन', बेमन से दे कोई जगह, तो प्यार का गोदाम न समझना। क़याम- ठहराव फ़र्ज़ाम- End Rest Zone आज का शब्द 'आईना' #rzmph #rzmph235 #आईना #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #restzone #rzwotm #rzsangeetadhun