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वस्तु कुल में जन्मी कलम मानव सोच का एक अंग है,, अब

वस्तु कुल में जन्मी कलम
मानव सोच का एक अंग है,,
अब यह वस्तु नहीं 
जीवन में चरित्र है,,
बौद्धिक सोच रस बन कर स्याही
अर्जुन गाँठ कुंठा खोले,,
स्याही सारथी कृष्ण भाँति,,
पक्षी भले न उड़ सकें
जो पिजरों के वासी ,,
पर कलम वहीं बंदिशों में
चले निरन्तर भलें
ही झेले कितने भी कष्ट आदि,,
कुंठित,धार्मिक रूढ़ियों
के संहारी कबीर,मोहनराय,गांधी
प्रेम चन्द्र जैसे आदि आदि
बन कर आये थे जो 
कलम अवतारी,,
जिनकी सोच रस
स्याही से फैली थी
चहुओर खुशहाली,,
पहले थी कलम की 
कुरीति,तानाशाही संग लड़ाई 
जिसमें अपार सफलता पाई,,
पर अब हो चली 
कलम की कलम से लड़ाई,,
जो स्याही थी पहले 
कलम पकड़े हाथ 
कि मौलिकता कि 
परिचायकी,,
आज वही स्याही 
सड़क नीलाम हुई,,
आज कलम की
अपनों से ही लड़ाई हुई,,
एक तरफ खड़ी मौलिक
स्वतन्त्र रस स्याही 
तो दूसरी ओर नीलाम
किराए की अमीर स्याही 
      
 - " रणदीप" #स्याहीधर्म
वस्तु कुल में जन्मी कलम
मानव सोच का एक अंग है,,
अब यह वस्तु नहीं 
जीवन में चरित्र है,,
बौद्धिक सोच रस बन कर स्याही
अर्जुन गाँठ कुंठा खोले,,
स्याही सारथी कृष्ण भाँति,,
पक्षी भले न उड़ सकें
जो पिजरों के वासी ,,
पर कलम वहीं बंदिशों में
चले निरन्तर भलें
ही झेले कितने भी कष्ट आदि,,
कुंठित,धार्मिक रूढ़ियों
के संहारी कबीर,मोहनराय,गांधी
प्रेम चन्द्र जैसे आदि आदि
बन कर आये थे जो 
कलम अवतारी,,
जिनकी सोच रस
स्याही से फैली थी
चहुओर खुशहाली,,
पहले थी कलम की 
कुरीति,तानाशाही संग लड़ाई 
जिसमें अपार सफलता पाई,,
पर अब हो चली 
कलम की कलम से लड़ाई,,
जो स्याही थी पहले 
कलम पकड़े हाथ 
कि मौलिकता कि 
परिचायकी,,
आज वही स्याही 
सड़क नीलाम हुई,,
आज कलम की
अपनों से ही लड़ाई हुई,,
एक तरफ खड़ी मौलिक
स्वतन्त्र रस स्याही 
तो दूसरी ओर नीलाम
किराए की अमीर स्याही 
      
 - " रणदीप" #स्याहीधर्म