तेरे इंतेजार में बिताए है मैंने भी बरसों, पर तू है कि मुझमें रूकता ही नहीं, कुछ ही कदम तो है चले अभी, और तू है कि मुझसे सम्भलता ही नहीं, ◆●◆ कवि ◆●◆ #mywords