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मेरे आज में एक बस तुम नहीं, अतीत में कोई तुम्हारे

मेरे आज में एक बस तुम नहीं,
अतीत में कोई तुम्हारे सिवाय नहीं,
मुस्तकबिल की तकदीर कुछ ऐसी,
की आज तुम कहीं और हम कहीं।  कv@chaurasia कवि r चौरसिया
मेरे आज में एक बस तुम नहीं,
अतीत में कोई तुम्हारे सिवाय नहीं,
मुस्तकबिल की तकदीर कुछ ऐसी,
की आज तुम कहीं और हम कहीं।  कv@chaurasia कवि r चौरसिया

कवि r चौरसिया