तूझ से दूर रहकर खुद मातम जैसा हो गया हूँ ऐसा लगता है जैसे मैं अर्थी पे सो गया हूँ आना भले ही अब तू मेरे पास मैं तो पहले जो था उससे कुछ ओर हो गया हूँ आकर भी कौनसा तुम मुझे जिंदा पाओगी सोचा नहीं था इस कदर बदल जाओगी आग ही आग लगा गई मेरे सीने में तू आ तो सही कोई मजा नहीं बगैर तेरे जीने में मेरी हर इक सांस तेरी कर्जदार है आकर छू ले इनको सिर्फ तू ही एक हकदार है रिस रिस कर हर एक पल बीता जा रहा है अब तो तेरा साया भी नजर नहीं आ रहा है कभी वक्त मिले तो आकर करले अंतिम मुलाकात मैं तो वही हूँ जिसे चाहिए था सिर्फ तेरा साथ सिर्फ एक दो सांस ही बची है कि तेरा दीदार कर सकूँ अब कोई गम नहीं बस आखरी इच्छा है तूझसे मिल सकू जीना मुक्कमल अगर नही मैं चेन से मर तो सकू ©Vishal sharma #मंजिल #महज़ #ख्यालों #की #कवि #हूँ #हर #बात #को #मेरी ज़िंदगी से ना जोड़े 🙏✅